रविवार
07 जुलाई 2024
65-0418E
क्या परमेश्‍वर कभी अपना विचार अपने वचन के प्रति बदलता है?

प्रिय सिद्ध इच्छा दुल्हन,

दिन निकल चुका है और प्रभु का आगमन निकट है। द्वार बंद हो रहा है और समय निकलते जा रहा है, क्या ऐसा पहले ही नहीं हो चूका है। ये बहुत देर हो चुकी है यहाँ-वहां भटकते फिरना; ये हवा से हिलते हुए सरकंडे की तरह होगा; खुजली वाले कान की तरह होगा। समय आ चूका है साफ़-साफ़ निर्णय को ले। उसकी दुल्हन होने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

क्या परमेश्वर कभी अपना विचार अपने वचन के प्रति बदलता है?कभी भी नहीं। तब तो हमें हर एक दिन, पूरे ह्रदय से और प्राण से उसकी सिद्ध इच्छा में रहने का प्रयत्न करना चाहिए। हमें अवश्य ही खुद को उसकी इच्छा और उसके वचन के प्रति समर्पित करना चाहिए। इस पर कभी प्रश्न न करें, बस इस पर विश्वास करें और इसे स्वीकार करें। इसके इर्द-गिर्द कोई रास्ते को ढूंढने की कोशिश न करें। इसे वैसे ही ले जैसा यह है।

इस संदेश में भविष्यव्यक्ता हमें बताता हैं कि उसका पूरा उद्देश्य हमें यह दिखाना है कि परमेश्वर को परमेश्वर बने रहने के लिए अपने वचन का पूरा करना होगा, लेकिन बहुत से लोग इसके इर्द-गिर्द जाकर, और कोई दूसरा रास्ता लेना चाहते हैं। जब वे ऐसा करते हैं, तो वे अपने आप को आगे बढ़ते हुए पाते हैं, और परमेश्वर उन्हें आशीष देता हैं, लेकिन वे परमेश्वर द्वारा दी गयी अनुमति की इच्छा में काम कर रहे हैं, न कि उनकी सिद्ध, दिव्य इच्छा में।

भविष्यव्यक्ता हमें वापस वचन की ओर ले जाता है और हमें उदाहरण को देता है कि उसकी ओर देखे, अध्ययन करे, और हमें याद दिलाता है, परमेश्वर अपना विचार नहीं बदलता या अपना तरीका नहीं बदलता है, वह परमेश्वर है और नहीं बदलता है।

अब, हम देखते हैं कि ये दोनों आत्मिक पुरुष थे, दोनों ही भविष्यव्यक्ता थे, दोनों को बुलाया गया था। और मूसा, कर्तव्य की पंक्ति में था, हर एक दिन उसके सामने एक ताजा अग्नि का स्तंभ, परमेश्वर की आत्मा उस पर है, कर्तव्य की पंक्ति में था। यहाँ परमेश्वर का एक और सेवक आता है, जिसे परमेश्वर ने बुलाया है, परमेश्वर ने ठहराया है, एक भविष्यव्यक्ता जिसके पास परमेश्वर का वचन आता है। यहाँ वो खतरे की रेखा है। कोई भी इस बात पर विवाद नहीं कर सकता कि वह परमेश्वर का—परमेश्वर का मनुष्य है, क्योंकि बाईबल ने कहा कि परमेश्वर की आत्मा ने उससे बात की, और वह एक भविष्यव्यक्ता था।

प्रभु, यह कितना नजदीक है? मैं भला कैसे जान सकता हूँ, जब दोनों ही भविष्यव्यक्ता थे? दोनों ही आत्मा से भरे हुए मनुष्य हैं जिन्हें परमेश्वर ने बुलाया है, परमेश्वर के ठहराये हुए है; परमेश्वर के भविष्यव्यक्ता जिनके पास परमेश्वर का वचन आता है। दोनों ही कह रहे हैं कि पवित्र आत्मा उनका नेतृत्व कर रहा है।

आइए परमेश्वर का सांतवा दूत संदेशवाहक क्या कहता है इसके बारे में कुछ परिच्छेदों को ध्यान से पढेंगे और अध्ययन करेंगे। हम वही चाहते हैं जो वह कहता है; न कि वह जो कलीसिया कहती है, जो डॉक्टर जोन्स कहता हैं, या कोई और क्या कहता है। हम वही चाहते हैं जो उसके भविष्यव्यक्ता के द्वारा यहोवा यों कहता है।

मूसा, जो प्रभु के वचन के साथ ठहराया हुआ भविष्यव्यक्ता था, उसने यह प्रमाणित किया कि उसे उस समय पर उनका नेतृत्व करने के लिए चुना गया था , और अब्राहम ने इन सभी बातों की प्रतिज्ञा की थी,…

कोई भी मूसा का स्थान नहीं ले सकता था। चाहे कितने भी कोरह और कितने भी दातान उठ कर खड़े हों जाये; चाहे जो भी हो, यह मूसा ही था, जिसे परमेश्वर ने बुलाया था।

मूसा ही वह एक था जिसे परमेश्वर ने लोगों का नेतृत्व करने के लिए चुना था। अन्य लोग भी उठ खड़े हुए और कहा कि वे अभिषिक्त हैं, वे भी पवित्र आत्मा से भरे हुए लोग हैं। परमेश्वर ने उन्हें भी नेतृत्व करने के लिए बुलाया है। लेकिन मूसा उसकी मूल इच्छा का नेतृत्व करने वाला था कि उनका नेतृत्व करे।

लेकिन, और यदि लोग उसकी सिद्ध इच्छा के अनुसार नहीं चलेंगे, तो उसके पास एक अनुमति दी गयी इच्छा होती है जिसमें वह आपको चलने देगा। ध्यान दें, वह इसकी अनुमति देता है, ठीक है, लेकिन वो अपनी महिमा के लिए, अपनी सिद्ध इच्छा के अनुसार इसे पूरा करेगा। अब यदि आप चाहें तो…

कोई भी परमेश्वर द्वारा अनुमति दी गयी इच्छा में नहीं रहना चाहता है। सच्ची दुल्हन उसकी सिद्ध इच्छा में रहना चाहती है, हर समय, चाहे कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।

टेप को चलाने के महत्व पर बहुत सारी असहमतियाँ है, विचार है, गड़बड़ी है, राय हैं।

हम सभी जानते हैं कि यही वो वाद-विवाद का विषय है जिससे आज संदेश के विश्वासी लोग अलग-अलग हो चुके है। हम जानते हैं कि दुल्हन को अवश्य ही, और होना ही है, कि एक साथ एकत्र हो; यही वचन है।

आज कलीसिया में आत्मा से भरे हुए, परमेश्वर द्वारा बुलाए गए लोग हैं। वे परमेश्वर के अभिषिक्त मनुष्य हैं जिन्हें इस संदेश का प्रचार करने के लिए बुलाया गया है। लेकिन उनमें से कोई भी ऐसा नहीं है जिस पर हम सभी सहमति दे सकें।

वे भला दुल्हन को एकजुट करने वाले कैसे हो सकते हैं? क्या हम उनकी सेवकाई के इर्द-गिर्द एकजुट हो सकते हैं? सचमुच उन्हें अपने झुंड का नेतृत्व करने के लिए बुलाया गया है, लेकिन उन्हें परमेश्वर की मूल योजना की ओर वापस ले जाना है। जो उसका नेतृत्व करने वाला है। उसका भविष्यव्यक्ता। ना की उनकी सेवकाई।

यदि वे आपको यह नहीं सिखा रहे हैं कि टेप पर जो आवाज़ है, वही वह एक है जिसका अवश्य ही आपको अनुकरण करना चाहिए, और आपको अवश्य ही विश्वास करना चाहिए कि यही सबसे महत्वपूर्ण आवाज़ है जिसे आपको सुनना है, तो वे केवल उसके द्वारा दी गयी अनुमति की इच्छा में हैं।

यदि वे आपको ये बताते हैं कि यह सबसे महत्वपूर्ण आवाज़ है, और वे सचमुच इसका विश्वास करते है, तो वे हर बार जब आप साथ एकत्र होते हैं तो बटन को दबाकर क्यों नहीं चला सकते?

यदि आप निश्चित करना चाहते हैं, निश्चित रूप से, कि आप उसकी सिद्ध इच्छा में हैं, तो केवल एक ही निश्चित तरीका है। वह ये है कि टेप पर परमेश्वर की प्रमाणित आवाज़ को सुने।

पहली बात जो आप जानते हैं, एक टेप उनके घर में चलाई जाती है। बस इतना ही करना है, उसके बाद। यदि वह भेड़ है, तो वह उसके साथ-साथ आती है। यदि वह बकरी है, तो वह टेप को बाहर कर देती है।

मुझे यह अवश्य ही निश्चित करना होगा। मैं ऐसा नहीं कर सकता, और ना ही करूंगा, कि अपनी अनंत मंजिल के साथ जरा सा भी खतरा मोल लूं। मैं जानता हूं कि टेप पर जो आवाज़ है, वह दुल्हन के लिए परमेश्वर की आवाज़ है। मैं जानता हूं कि ये गलतियाँ नहीं करती। मैं जानता हूं कि अग्नि के स्तंभ के द्वारा इसे प्रमाणित किया गया था। मैं जानता हूं कि यह वही है जिसे परमेश्वर ने अपनी दुल्हन का नेतृत्व करने के लिए चुना है। मैं जानता हूं कि यह आवाज़ ही एकमात्र आवाज़ है जो दुल्हन को एकजुट कर सकती है और करेगी। मैं जानता हूं कि यह वही आवाज़ होगी जिसे मैं कहते हुए सुनूंगा “देखो, परमेश्वर का मेमना”।

मुझे बटन को दबाकर चलाना ही है और उस आवाज़ को सुनना है। आपको इस रविवार को दोपहर 12:00 बजे, जेफरसनविले के समयनुसार हमारे साथ आकर जुड़ने के लिए आमंत्रित किया जाता है, जब हम सुनते हैं: 65-0418E क्या परमेश्‍वर कभी अपना विचार अपने वचन के प्रति बदलता है?

 

भाई जोसफ ब्रंहम

हम परिच्छेद 61 से संदेश को आरंभ करेंगे।

 

 

संदेश सुनने से पहले पढ़ने के लिए वचन:

निर्गमन 19वाँ अध्याय
गिनती 22:31
संत मत्ती 28:19
लूका 17:30
प्रकाशितवाक्य 17वाँ अध्याय